हाल ही में पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री की गिरफ्तारी को लेकर पूरे देश में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हुए। पाकिस्तान के इतिहास में पहली बार हिंसक भीड़ द्वारा (जिसमें पूर्व प्रधानमंत्री के समर्थक शामिल थे) खैबर पख्तूनख्वा (KPK), पंजाब, बलूचिस्तान और पाकिस्तान के अन्य शहरों में सैन्य, अर्द्ध-सैन्य प्रतिष्ठानों पर हमला किया गया। वर्ष 1971 में बांग्लादेश की मुक्ति (पाकिस्तान विभाजन), सैन्य तख्तापलट की घटनाओं या यहाँ तक कि बेनज़ीर भुट्टो सदृश लोकप्रिय नेताओं की हत्या के बाद भी सेना को कभी निशाना नहीं बनाया गया था।
Thank you for reading this post, don't forget to subscribe!अफगानिस्तान में व्याप्त अस्थिरता ने आग में और घी डालने का काम किया है, जबकि पाकिस्तान में व्याप्त अस्थिरता अफगानिस्तान को आगे और अस्थिर बना सकती है। पाकिस्तान में बढ़ती अस्थिरता जल्द ही व्यापक रूप से फैल सकती है और क्षेत्र की स्थिरता को प्रभावित कर सकती है।
पाकिस्तान में मौजूदा स्थिति : भारत और संकटग्रस्त पाकिस्तान
- राजनीतिक उतार-चढ़ाव:
- पाकिस्तान 17 जुलाई 2022 से ही राजनीतिक संकट का सामना कर रहा है, जब पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान को अविश्वास प्रस्ताव के माध्यम से अपने पद से बेदखल कर दिया था। उन्होंने इस परिणाम को स्वीकार करने से इनकार कर दिया और जल्द चुनाव कराने की मांग करते हुए विरोध प्रदर्शन एवं रैलियों की एक शृंखला छेड़ दी। वह आतंकवाद, भ्रष्टाचार और न्यायालय की अवमानना सहित कई अन्य कानूनी आरोपों का भी सामना कर रहे हैं।
- मौजूदा पाकिस्तान सरकार ने उन पर देश को अस्थिर करने और लोकतंत्र को कमज़ोर करने का आरोप लगाया है।
- उन्होंने इमरान खान पर जनता के बीच सेना विरोधी भावना भड़काने के रूप में अवसरवादी और विनाशकारी रवैया अपनाने का भी आरोप लगाया है।
- पाकिस्तान के राजनीतिक विमर्श में यह उथल-पुथल ‘पाकिस्तान स्प्रिंग’ (‘अरब स्प्रिंग’ की तरह) को जन्म दे सकता है। पाकिस्तान और उन देशों की स्थितियों के बीच कई समानताएँ नज़र आती हैं जहाँ ‘अरब स्प्रिंग’ आंदोलन का प्रसार हुआ था। समानता के इन घटकों में राजनीतिक अस्थिरता, आर्थिक शिकायतें, भ्रष्टाचार, युवा उभार, नागरिक समाज की सक्रियता और मीडिया की स्वतंत्रता शामिल हैं।
- पाकिस्तान 17 जुलाई 2022 से ही राजनीतिक संकट का सामना कर रहा है, जब पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान को अविश्वास प्रस्ताव के माध्यम से अपने पद से बेदखल कर दिया था। उन्होंने इस परिणाम को स्वीकार करने से इनकार कर दिया और जल्द चुनाव कराने की मांग करते हुए विरोध प्रदर्शन एवं रैलियों की एक शृंखला छेड़ दी। वह आतंकवाद, भ्रष्टाचार और न्यायालय की अवमानना सहित कई अन्य कानूनी आरोपों का भी सामना कर रहे हैं।
- तालिबान का उदय:
- अफगानिस्तान से अमेरिकी सैनिकों की वापसी के बाद से ही पाकिस्तानी सेना की घेराबंदी की जा रही है और तालिबान समर्थित तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) बलूचिस्तान एवं पंजाब में अपनी सक्रियता का विस्तार कर रहा है।
- अधिक दुस्साहसी हुए TTP और बलूच समूहों ने पाकिस्तानी सशस्त्र बलों के ऊपर कई हमले किये हैं।
- पाकिस्तानी सेना व्यावहारिक रूप से दो मोर्चों पर युद्ध लड़ रही है (आंतरिक मोर्चे पर TTP के साथ और बाह्य मोर्चे पर तालिबान के साथ), जबकि ईरानी सीमा पर भी उसकी कड़ी नज़र बनी हुई है।
- पाकिस्तानी सेना—जिसे एक मज़बूत एवं सक्षम बल के रूप में देखा जाता था और जो छद्म युद्धों (proxy wars) का एक चतुर खेल खेल सकती थी, तालिबान द्वारा उसकी कमज़ोरियों को उजागर कर दिया गया है।
- तालिबान अब पाकिस्तान के लिये एक बड़ा खतरा है और सेना इसे रोक सकने के लिये संघर्ष कर रही है। इससे सेना का आत्मविश्वास कमज़ोर पड़ा है और दुर्जेयता की उसकी आभा फीकी पड़ गई है।
- सेना की घेरेबंदी:
- इमरान खान को अपदस्थ किये जाने के बाद सड़कों पर उतरे लोगों की लामबंदी ने सेना को कमज़ोर कर दिया है। सेना वर्तमान में राजनीतिक रूप से अत्यंत कमज़ोर है जो TTP जैसे अराजक अभिकर्ताओं को और मज़बूत बनने का अवसर प्रदान कर सकती है।
- सेना का घटता हुआ कद तब बेहद प्रकट हो गया जब प्रदर्शनकारी थोड़े प्रोत्साहन पर जनरल हेडक्वार्टर तक पहुँच गए। हिंसक भीड़ ने लाहौर में कॉर्प कमांडर के घर, पाकिस्तान सैन्य अकादमी, वायु सेना के अड्डे और शहरों में सेना के गश्ती दल को निशाना बनाया।
- आर्थिक संकट:
- पाकिस्तान में महँगाई दर वर्तमान में 30% से अधिक है जो पिछले कई वर्षों में सर्वाधिक है। इससे आम लोगों के लिये खाद्य एवं ईंधन जैसी बुनियादी आवश्यकताओं का वहन कर सकना कठिन हो रहा है। पाकिस्तानी रुपया पिछले एक वर्ष में अमेरिकी डॉलर की तुलना में अपने मूल्य का 30% से अधिक खो चुका है।
- हाल ही में सोशल मीडिया पर प्रसारित एक वीडियो में नज़र आया कि कुछ क्षेत्रों में पाकिस्तानी लोगों द्वारा प्लास्टिक की थैलियों में LNG का भंडारण किया जा रहा है क्योंकि रसोई गैस सिलेंडरों की कमी के कारण डीलरों द्वारा आपूर्ति कम की जा रही है। इस बेहद खतरनाक ‘बैग गैस’ की ‘चलते-फिरते बम’ (Moving bombs) के रूप में चर्चा की गई है।