IFFCO’s Nano DAP Plant
- November 4, 2023
- Posted by: Akarias
- Category: Blog Daily Current Affairs
IFFCO’s Nano DAP Plant : उर्वरक क्षेत्र की सबसे बड़ी राष्ट्रीय सहकारी संस्था इफको के नैनो डीएपी तरल प्लांट का उद्घाटन मंगलवार को केंद्रीय गृह मंत्री एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने किया | गुजरात के कलोल स्थित या प्लाट नैनो डीएपी का दुनिया का सबसे पहले प्लांट है| इस प्लांट में 500 एमएल नैनो डीएपी के 2 लाख बोतलों का रोजाना उत्पादन होगा
Thank you for reading this post, don't forget to subscribe!IFFCO’s Nano DAP Plant : फसल में नैनो डीएपी का उपयोग
भारतीय किसान उर्वरक सहकारी (इफको) ने हाल ही में एक क्रांतिकारी उत्पाद नैनो डीएपी लॉन्च किया है, जो फसल पोषण को बदलने का वादा करता है। यह अभिनव समाधान सभी फसलों के लिए नाइट्रोजन (N) और फास्फोरस (P) का एक कुशल स्रोत प्रदान करता है, ये खड़ी फसलों में ग्रोथ सम्बंधित सभी कमियों को ठीक करने में मदद करता है और उच्च गुणवत्ता के साथ पैदावार को बढ़ाता है।
नैनो डीएपी क्या है?
आइये जानते हैं NANO DAP के बारे में –
नैनो डीएपी एक तरल सूत्रीकरण है, जिसमें 8.0% नाइट्रोजन (N w/v) और 16.0% फॉस्फोरस (P205 w/v) होता है। अन्य उर्वरकों के मौकाबले नैनो डीएपी के कण आकार में छोटे होते है, इनका आकार 100 नैनोमीटर से कम होताहै। इसकी अनूठी क्रिया इसे बीज की सतह के अंदर या स्टोमेटा और अन्य पौधों के उभार के माध्यम से आसानी से प्रवेश करने में सक्षम बनाती है। नैनो डीएपी में नाइट्रोजन और फॉस्फोरस के नैनो क्लस्टर्स को बायो-पॉलीमर और अन्य एक्सीपिएंट्स के साथ क्रियाशील किया जाता है ताकि प्लांट सिस्टम के भीतर फैलाव और आत्मसात में सुधार हो सके।
नैनो डीएपी का उपयोग कैसे करें?
आइये जानते हैं नैनो डीएपी के फसल और पौधों में उपयोग के बारें में –
मुख्य रूप से अनाज, दालें, सब्जियां, फल, फूल, औषधीय सहित अन्य सभी फसलों पर नैनो डीएपी का छिड़काव किया जा सकता है। नैनो डीएपी का अनुशंसित समय और खुराक बीज के आकार, वजन और फसल के प्रकार के आधार पर भिन्न होता है। इसे बीज उपचार, जड़/कंद/सेट उपचार, या पत्तेदार स्प्रे के माध्यम से उपयोग किया जा सकता है।
IFFCO’s Nano DAP Plant बीज उपचार के लिए 3-5 मिली नैनो डीएपी प्रति किलो बीज की सिफारिश की जाती है। जड़/कंद/सेट उपचार के लिए प्रति लीटर पानी में 3-5 मिली नैनो डीएपी की सिफारिश की जाती है। पर्ण छिड़काव के लिए, नैनो डीएपी के 2-4 मिलीलीटर प्रति लीटर पानी में अच्छी पर्ण अवस्था (टिलरिंग / ब्रांचिंग) और दूसरा स्प्रे फूल आने से पहले/ देर से टिलरिंग अवस्था में करने की सिफारिश की जाती है।
इफको नैनो डीएपी की खोज
नैनो डीएपी (लिक्विड) एफसीओ (1985), भारत सरकार के तहत 2 मार्च 2023 को अधिसूचित किया गया एक नया नैनो उर्वरक है। नैनो डीएपी (तरल) स्वदेशी और गैर-सब्सिडी वाला उर्वरक है। खेत की इष्टतम स्थितियों के तहत इसकी पोषक तत्व उपयोग दक्षता 90 प्रतिशत से ज्यादा है।।
IFFCO’s Nano DAP Plant : नैनो डीएपी के लाभ-
-
उच्चतर फसल उत्पादन
नैनो डीएपी के छोटे आकार और विस्तृत सतह-आयतन अनुपात के कारण; महत्वपूर्ण विकास चरणों में बीज उपचार और पत्तों पर नैनो डीएपी के आवेदन से फसलों के लिए पोषक तत्वों की उपलब्धता बढ़ती है। इसलिए, पत्तों में क्लोरोफिल, फोटोसिंथेसिस, जड़ बायोमास, प्रभावी टिलर्स और डालियों की संख्या में वृद्धि के कारण फसल उत्पादन बढ़ता है।
-
किसानों की आय में वृद्धि
इफको नैनो डीएपी फसलों के पोषण को बढ़ाने में मदद करता है, जो फसल के उत्पादन में उन्नति लाता है। यह किसानों की आय को बढ़ाता है क्योंकि इससे इनपुट लागत में कटौती होती है, फसल के उत्पादन की गुणवत्ता बेहतर होती है और उत्पाद की मांग बढ़ती है।
-
गुणवत्तापूर्ण भोजन
उत्पादित खाद्य उत्पाद की पोषणीय गुणवत्ता अधिक होती है, जिसमें प्रोटीन और पोषण तत्वों की सामग्री शामिल होती है।
-
रासायनिक उर्वरक उपयोग में कमी
एक बोतल (500 मिलीलीटर) नैनो डीएपी का उन्नयन उपयोग करने से, पारंपरिक डीएपी द्वारा पूर्ण की गई फॉस्फोरस की आवश्यकता को 50% तक बदला जा सकता है। क्योंकि नैनो डीएपी महत्वपूर्ण विकास चरणों में नाइट्रोजन और फॉस्फोरस की आवश्यकता को पूरा करने में मदद करता है, जो बल्क रासायनिक खादों के जुदीशियस उपयोग का मार्ग दर्शाता है।
-
पर्यावरण के अनुकूल
नैनो डीएपी का उत्पादन ऊर्जा और संसाधन दोनों के दृष्टिकोण से फ्रेंडली है। इसका फ़ील्ड एप्लीकेशन बल्क नाइट्रोजनस उरिया जैसे उपयोगों को कम करता है जो उत्पत्ति के समय अधिक मात्रा में इस्तेमाल किए जाते हैं और उससे संबंधित वायोलेटाइजेशन, लीचिंग और रन ऑफ़ हानियों को कम करता है। इस प्रकार, नैनो डीएपी के निश्चित और लक्षित एप्लीकेशन से खेती के स्थायित्व और पर्यावरण सुरक्षा को बढ़ावा मिलता है जिससे मिट्टी, वायु और जल प्रदूषण को कम करने में मदद मिलती है।
-
स्टोर और ट्रांसपोर्ट करने में आसान
नैनो डीएपी की तुलना में डीएपी जैसे भारी फास्फेटिक उर्वरकों की तुलना में कम मात्रा में आवश्यकता होती है। इससे उर्वरकों की लॉजिस्टिक और गोदामगीरी पर असर पड़ता है। फसल उत्पादक बोतलों को भारी फास्फेटिक उर्वरकों की तुलना में आसानी से उठा सकते हैं।
नैनो फर्टिलाइजर
देश में 14.5 करोड़ किसान परिवार हैं. हर परिवार में अगर चार सदस्य भी माने जाएं तो करीब 58 करोड़ लोग. ये बहुत बड़ा वोटबैंक है. जिसे सरकार नजरंदाज नहीं कर सकती. इसलिए अंतरराष्ट्रीय बाजार में उर्वरकों के रॉ मैटीरियल का दाम कितना भी बढ़ा लेकिन, उसका बोझ किसानों पर नहीं डाला गया. सरकार सब्सिडी बढ़ाती रही ताकि किसानों पर बोझ न पड़े.
लेकिन, 31 मई 2021 को जब इफको ने किसानों के लिए विश्व के पहले नैनो यूरिया लिक्विड की शुरुआत की तब सरकार को भी एक नई उम्मीद जगी. यह उम्मीद थी सब्सिडी कम होने की. इफको को नैनो यूरिया और डीएपी का पेटेंट मिला. लेकिन, ग्राउंड पर नैनो फर्टिलाइजर को लेकर किसानों का माइंडसेट बदलना आसान नहीं है. राजस्थान से इसके विरोध में कई बार आवाज उठी है. किसान महापंचायत लगातार इसकी गुणवत्ता पर सवाल उठा रही है. यही नहीं, लोकसभा और राज्यसभा दोनों सदनों में कई बार नैनो फर्टिलाइजर को लेकर सरकार से सवाल किए गए हैं.
लेकिन, यह भी सच है कि काफी किसान इसे अपना रहे हैं. इफको ने 31 मई 2021 से अब तक नैनो यूरिया की 6 करोड़ बोतल बेच दी है. अधिकांश किसानों की चिंता बस इसके स्प्रे को लेकर है. क्योंकि ड्रोन की पहुंच अभी सभी गांवों तक नहीं हो सकी है. नैनो फर्टिलाइजर के साथ-साथ ड्रोन का बाजार भी खड़ा हो रहा है. पेस्टीसाइड के साथ-साथ अब यूरिया-डीएपी का भी छिड़काव करना पड़ेगा क्योंकि यह लिक्विड में बदल रहा है.
इफको के एमडी डॉ. यूएस अवस्थी का कहना है कि नैनो यूरिया और डीएपी दुनिया के उर्वरक उद्योग में गेम चेंजर साबित होने वाले हैं. नैनो जिंक और नैनो कॉपर भी विकसित करने पर काम चल रहा है.
सब्सिडी का बढ़ता बोझ
- रसायन और उर्वरक मंत्रालय की एक रिपोर्ट के मुताबिक साल 2022-23 में 07 फरवरी 2023 तक भारत की उर्वरक सब्सिडी 1,82,403 करोड़ रुपये हो चुकी थी. जिसमें सबसे अधिक 1,15,493 करोड़ रुपये अकेले यूरिया की हिस्सेदारी है. विशेषज्ञों का कहना है कि नैनो यूरिया नहीं होती तो सब्सिडी की यह रकम कहीं और बड़ी होती.
- इसमें कितनी तेजी से इजाफा हुआ है इसका अंदाजा आप 2019-20 की सब्सिडी से लगा सकते हैं. तब सिर्फ 63,379.39 करोड़ रुपये की सब्सिडी थी. यानी तीन साल में तीन गुना की वृद्धि. तब यूरिया की सब्सिडी सिर्फ 37,283 करोड़ रुपये थी.
- केंद्र सरकार सब्सिडी की रकम खाद बनाने वाली कंपनियों को देती है न कि किसानों को. यह सब्सिडी देश की 183 कंपनियों को मिलती है. डायरेक्ट किसानों को सब्सिडी देने की लगातार मांग हो रही है. हालांकि, अब तक कोई निर्णय नहीं हुआ.
कृषि क्षेत्र में नई क्रांति
सहकारिता क्षेत्र से केंद्र सरकार की एमएसपी कमेटी के सदस्य बनाए गए बिनोद आनंद का कहना है कि नैनो यूरिया और डीएपी कृषि क्षेत्र में किसी बड़ी क्रांति से कम नहीं हैं. इसके प्रयोग से लाखों किसानों की खेती की लागत तो कम होगी ही, इसका भंडारण और ट्रांसपोर्टेशन काफी आसान हो जाएगा. कोई भी किसान क्यों उठाएगा 50 किलो का बैग. वो तो अब नैनो यूरिया और डीएपी को अपने कुर्ते की पॉकेट में रखकर बाजार से घर और घर से खेत में जाएगा.
जिसका सामान्य यूरिया या डीएपी बच जाता था उसे हवा से बहुत बचाव करके रखना होता था. लेकिन अब ऐसी कोई दिक्कत नहीं है. बोतल की ढक्कन बंद है तो खाद सुरक्षित है. सब्सिडी का बोझ कम होगा तो उसका पैसा सरकार किसी और कल्याणकारी योजना में लगाएगी. अगर दो साल में 25 फीसदी किसान भी नैनो फर्टिलाइजर का इस्तेमाल करना शुरू कर देंगे तो कम से कम सालाना 50000 करोड़ रुपये की सब्सिडी बचेगी. साथ ही स्वायल हेल्थ भी ठीक रहेगी. उपज बढ़ेगी. किसानों की आय में भी वृद्धि होगी क्योंकि खर्च कम हो जाएगा.