बिसन सिंह बेदी : भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान बिशन सिंह बेदी का सोमवार को निधन हो गया। उन्होंने 77 साल की उम्र में आखिरी सांस ली। भारत के लिजेंडरी लेफ्ट आर्म स्पिनर बेदी ने 1967 और 1979 के बीच भारत के लिए 67 टेस्ट खेले और 266 विकेट लिए। वहीं, 10 वनडे मैचों में सात विकेट भी हासिल किए।
Thank you for reading this post, don't forget to subscribe!बिसन सिंह बेदी : खेल कैरियर
घरेलू क्रिकेट में बेदी ने उत्तरी पंजाब के लिए पहली बार तब खेला था जब वे केवल 15 साल के थे। तब उनको क्रिकेट शुरू किये हुए अभी केवल दो साल ही हुए थे, इस खेल के लिए यह बहुत ही कम आयु होती है। 1968–69 में वे दिल्ली की तरफ से खेलने लगे थे और 1974–75 सत्र में उन्होनें रणजी ट्राफी के लिए रिर्काड 64 विकेट लिए। बेदी ने कई साल तक नॉर्थम्प्टनशायर का अंग्रेज़ी काउंटी क्रिकेट में प्रतिनिधित्व किया। इन्होंने अपना शानदार क्रिकेट कैरियर किसी भी भारतीय से ज्यादा 1560 विकेट के साथ खत्म किया।
इनकी गेंदबाजी को शानदार, सुंदर, छकाने वाली और कलात्मक माना जाता है। वे गेंद को फ्लाइट कराने में बहुत माहिर थे और वे गेंद को उचित समय तक अपने पास रोकने एवं समय पड़ने पर तेजी से आगे बढ़ाने में और स्पिन गेंदबाजी में युक्तिबद्ध बदलाव करने में बहुत कुशल थे। खेलते समय उनकी क्रिया इतनी शांत और संतुलित होती थी कि वे पूरे दिन लय और संतुलन के साथ गेंदबाजी कर सकते थे, यह किसी भी कप्तान के लिए बड़ा गुण होता है।
विवाद
भारत के कप्तान के रूप में बेदी का व्यक्तिव अनिवार्य रूप में कुछ विवादों को जन्म देता था।
भारत के वेस्ट इंडीज के विरूद्ध 1976 की टेस्ट श्रृंखला में तीसरे टेस्ट में रिकार्ड कायम करते हुए रन का पीछा करने पर वेस्ट इंडीज ने चौथे टेस्ट में आक्रमण के लिए चार तेज गेंदबाज़ उतारने की रणनीति बनाई। बेदी ने वेस्ट इंडीज़ की इस तरकीब पर आपत्ति दर्ज की और भारत की पहली पारी उसके दो खिलाड़ियों के चोट के चलते बाहर हो जाने के कारण खत्म होने की घोषणा कर दी। इसके बाद मैच की दूसरी पारी में पांच खिलाड़ी चोट के चलते बाहर ही रहे।
वेसिलीन घटना – 1976-77 में भारत के इंग्लैंड दौरे में उन्होंने मद्रास में हुए तीसरे टेस्ट में जॉन लिवर को अवैध तरीके से गेंद को वैसलीन से पॉलिश करने का दोषी बताया। लीवर ने अपने माथे पर वैसलीन इसलिए लगाई थी ताकि उनके आखों से खेलते समय पसीना दूर रहे, लेकिन बाद में उन्हें किसी भी गलत आरोप से मुक्त कर दिया गया।
नवंबर 1978 में वे अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट मैच में स्वयं हार मानने वाले पहले कप्तान बन गये थे। साहिवाल में पाकिस्तान के खिलाफ एक दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय मैच में भारत के पास आठ विकेट बचे थे और उसे जीत के लिए चौदा गेंदों पर सिर्फ 23 रन चाहिये थे। बेदी ने हालांकि क्रीज़ से बल्लेबाज़ को वापिस बुलाया और इस बात पर नाराज़ होकर कि सरफराज़ नवाज़ जिन्होनें लगातार चार बाउंसर गेंदें की थी, उन्हें अंपायर द्वारा वाइड क्यों नहीं दिया गया, उन्होनें मैच में आगे खेले बिना ही हार मान ली।
बिसन सिंह बेदी : कोचिंग
बिसन सिंह बेदी : जेकेसीए में उस समय रणजी टीम के प्रबंधक रहे राजेश धर ने कहा कि जम्मू-कश्मीर टीम को पंख देने का काम बिशन सिंह बेदी ने किया। खिलाड़ियों में नए जोश भरा और उनमें जीत की ललक पैदा की। टीम को अपने मार्गदर्शन में लड़ना सिखाया।
1990 में, जब उन्होंने एक दौरे का प्रबंधन किया था, जहां भारत ने खराब प्रदर्शन किया था, तो उन्होंने वापसी यात्रा पर पूरी टीम को समुद्र में फेंकने की धमकी दी थी।
खिलाड़ियों के लिए लड़ने वाला कप्तान
बिशन की गेंदबाजी के बारे में हर कोई जानता है. वह बाएं हाथ के सर्वश्रेष्ठ स्पिनरों में से हैं, लेकिन उनकी पहचान एक आक्रामक कप्तान के तौर पर हुई. एक ऐसा कप्तान, जो किसी भी हाल में अपने खिलाड़ियों को बचाने के लिए कुंछ भी कर सकते थे, फिर चाहे मैच ही क्यों न हार जाएं. इसका उदाहरण दिया 1976- के वेस्टइंडीज दौरे पर. पोर्ट ऑफ स्पेन में हुआ सीरीज का तीसरा टेस्ट मैच जीतकर भारत ने वेस्टइंडीज समेत क्रिकेट जगत को बुरी तरह चौंका दिया. वेस्टइंडीज में भारत की ये सिर्फ दूसरी ही टेस्ट जीत थी.
वेस्टइंडीज ने किंग्सटन में हुए अगले ही मैच में इसका हिसाब चुकता करने के लिए अपने तेज गेंदबाजों से भारतीय बल्लेबाजों को निशाना बनाने के लिए कहा, जिसके कारण पहली पारी में भी भारत के 2-3 बल्लेबाज चोटिल होकर अस्पताल पहुंच गए. कप्तान बेदी ने अपने खिलाड़ियों को बचाने के लिए पारी घोषित कर दी. दूसरी पारी में भी सिर्फ 97 रनों पर 4 विकेट गिरने के बाद उन्होंने इसे भी घोषित कर दिया क्योंकि टीम के बल्लेबाज फिट नहीं थे. ऐसे में टेस्ट मैच तो हाथ से निकल गया, लेकिन बेदी ने अपने खिलाड़ियों को बचाना ही प्राथमिकता समझी.
ऑस्ट्रेलिया और वेस्टइंडीज में सफलता
बिसन सिंह बेदी : बिशन सिंह बेदी ने अपने करीब 14 साल लंबे करियर में कई बेहतरीन प्रदर्शन किए, लेकिन उनका सबसे अच्छा प्रदर्शन आया ऑस्ट्रेलिया में. एक स्पिनर होने के बावजूद उन्होंने 1977-78 के ऑस्ट्रेलिया दौरे पर शानदार गेंदबाजी करते हुए 5 मैचों की सीरीज में 31 विकेट झटक डाले. वह सीरीज में सबसे ज्यादा विकेट लेने वाले गेंदबाज थे. इसी सीरीज में पर्थ टेस्ट में उन्होंने दोनों पारियों में 5-5विकेट लिए और इस तरह 10/194 किसी टेस्ट मैच में उनका सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन रहा. भारत सीरीज 3-2 से हारा, लेकिन बेदी का करिश्मा फिर दिखा.
सिर्फ ऑस्ट्रेलिया ही नहीं, बल्कि विदेशी जमीन पर उनके बेहतरीन प्रदर्शन की मिसाल वेस्टइंडीज में भी दिखी, जब वह टीम के कप्तान भी थे. बेदी ने तब पांच मैचों की सीरीज में उन्होंने 18 विकेट अपने नाम किए. पोर्ट ऑफ स्पेन की ऐतिहासिक जीत में बेदी ने 5 विकेट लेकर अहम योगदान दिया था.
बल्लेबाजी कैरियर सारांश
एम |
सराय |
नहीं |
रन |
एच एस |
औसत |
बीएफ |
एसआर |
100 |
200 |
50 |
4s |
6s |
|
---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|
परीक्षा |
67 |
101 |
28 |
656 |
50 |
8.99 |
603 |
108.79 |
0 |
0 |
1 |
51 |
3 |
वनडे |
10 |
7 |
2 |
31 |
13 |
6.2 |
70 |
44.29 |
0 |
0 |
0 |
1 |
0 |
बॉलिंग करियर सारांश
एम |
सराय |
बी |
रन |
विकेट्स |
बी.बी.आई |
बीबीएम |
अर्थव्यवस्था |
औसत |
एसआर |
5W |
10W |
|
---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|
परीक्षा |
67 |
118 |
20650 |
7637 |
266 |
7/98 |
10/194 |
2.22 |
28.71 |
77.63 |
14 |
1 |
वनडे |
10 |
10 |
576 |
340 |
7 |
2/44 |
2/44 |
3.54 |
48.57 |
82.29 |
0 |
0 |
जीवन और मृत्यु
बेदी का जन्म 25 सितंबर 1946 को तत्कालीन ब्रिटिश भारत के अमृतसर में हुआ था ।
उनके बेटे अंगद बेदी (जन्म 1983) एक भारतीय अभिनेता और पूर्व मॉडल हैं, और उनकी बहू नेहा धूपिया एक प्रसिद्ध बॉलीवुड अभिनेत्री हैं।
उन्होंने कहा कि वह हमेशा अपने कपड़े खुद धोते थे, उन्होंने इसे “आपके कंधों और उंगलियों के लिए सबसे अच्छा व्यायाम” कहा, जब उन्होंने बताया कि स्पिन गेंदबाजी के लिए अंगों की कोमलता की आवश्यकता होती है।
बेदी का 77 वर्ष की आयु में 23 अक्टूबर 2023 को नई दिल्ली में निधन हो गया