Aakar IAS : G-20 शिखर सम्मेलन क्या है
- October 26, 2023
- Posted by: Akarias
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ग्रुप ऑफ ट्वेंटी (G-20) अंतरराष्ट्रीय आर्थिक सहयोग का प्रमुख मंच है। यह सभी प्रमुख अंतरराष्ट्रीय आर्थिक मुद्दों पर वैश्विक संरचना और अधिशासन निर्धारित करने तथा उसे मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
Thank you for reading this post, don't forget to subscribe!G-20 शिखर सम्मेलन क्या है
जी20 विश्व की अधिकांश सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के वित्त मन्त्रालयों से बना है, जिसमें औद्योगिक और विकासशील दोनों देश शामिल हैं; यह सकल विश्व उत्पाद का लगभग 80%, अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार का 75%, वैश्विक जनसंख्या का द्वितृतीयांश और विश्व के भूमि क्षेत्र का 60% भाग है।
जी20 की स्थापना 1999 में एशियाई वित्तीय संकट के बाद वित्त मंत्रियों और केन्द्रीय बैंक के नियन्त्रकों हेतु वैश्विक आर्थिक और वित्तीय मुद्दों पर चर्चा हेतु एक मंच के रूप में हुई थी। 2008 के पश्चात्, जी20 शिखर सम्मेलन को प्रतिवर्ष न्यूनतम एक बार क्रमिक अध्यक्षता में आयोजित किया जाता है, जिसमें प्रत्येक सदस्य के शासनप्रमुख या राष्ट्रप्रमुख, वित्त मंत्री, या विदेश मंत्री और अन्य उच्च पदस्थ अधिकारी शामिल होते हैं; यूरोपीय संघ का प्रतिनिधित्व यूरोपीय आयोग और यूरोपीय केन्द्रीय बैंक द्वारा किया जाता है। अन्य देशों, अन्तर्राष्ट्रीय संगठनों और असरकारी संगठनों को शिखर सम्मेलन में सहभागिता हेतु आमंत्रित किया जाता है, कुछ को स्थायी रूप से।
2007-2009 का वित्तीय संकट के प्राक्काल में जी20 को राष्ट्र/शासन प्रमुख के स्तर तक उन्नत किया गया था, और 2009 में इसे “अन्तर्राष्ट्रीय आर्थिक सहयोग हेतु प्रमुख मंच” के रूप में नामित किया गया था।
जी-20 नई दिल्ली शिखर सम्मेलन, 2023 में भारतीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने घोषणा की कि अफ्रीकीय संघ को जी20 के सदस्य के रूप में शामिल किया गया है, जिससे यह 21तम सदस्य बन गया है।
कब और कैसे हुई G-20 की शुरुआत ?
- साल 1999 से पहले एशिया एक आर्थिक संकट से गुजर रहा था।
- इसी मद्देनजर जर्मनी में जी8 देशों की बैठक का आयोजन हुआ। बैठक के बाद जी20 का गठन किया गया।
- जी20 बैठक में दुनिया के 20 मजबूत अर्थव्यवस्था वाले देशों के वित्त मंत्री और केंद्रीय बैंक के गर्वनर को बुलाया गया।
- इस संगठन का उद्देश्य विश्व के समक्ष जो आर्थिक चुनौतियां हैं। उनका आपसी चर्चा से हल निकालना था।
- हालांकि, साल 2008 की वैश्विक मंदी के बाद देशों के राष्ट्राध्यक्ष भी शामिल होने लगें।
कौन-कौन से देश हैं G-20 में शामिल
- जी20 में कुल 19 देश (भारत, अमेरिका, चीन, रूस, ब्राजील, कनाडा, अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, फ्रांस, जर्मनी, इंडोनेशिया, इटली, जापान, मेक्सिको, कोरिया गणराज्य, सऊदी अरब, दक्षिण अफ्रीका, तुर्किये, यूके) और यूरोपीय संघ शामिल हैं।
इस तरह करता है G-20 काम
- जी20 में दो तरह के समानांतर ट्रैक हैं। इसमें पहला वित्त ट्रैक है और दूसरा शेरपा ट्रैक।
- वित्त ट्रैक का नेतृत्व वित्त मंत्री और सेंट्रल बैंक के गर्वनर करते हैं।
- वहीं शेरपा ट्रैक को शेरपा द्वारा नेतृत्व किया जाता है।
- आपकी जानकारी के लिए बता दें कि यहां शेरपा का अर्थ पहाड़ों पर चढ़ाई करते समय गाइड करने वाले शेरपा से नहीं है।
G-20 : कैसे बना ये संगठन
अमेरिका, कनाडा, जर्मनी, इटली, फ्रांस, जापान और ब्रिटेन देशों का एक G-7 ग्रुप था. इसी ग्रुप का विस्तार G-20 को माना जाता है. साल 1998 में इस ग्रुप में रूस भी जुड़ गया और 1999 में G-8 देशों की बैठक के दौरान एशिया के आर्थिक हालातों की चर्चा की गई. इस चर्चा में 20 बड़ी अर्थव्यवस्था वाले देशों को साथ में लाने की बात कही गई और उसी साल बर्लिन में एक बैठक का आयोजन हुआ जिसमें जी-20 की बात उठी. 2007 में विश्वव्यापी आर्थिक और वित्तीय संकट के बाद जी-20 फोरम को राष्ट्रप्रमुखों के स्तर का बना दिया गया. समूह का पहला शिखर सम्मेलन 2008 में वाशिंगटन डीसी में हुआ था. इसके बाद इसकी अहमियत को समझते हुए हर साल इसकी बैठक की जाने लगी.
हर साल अलग देश करता है अध्यक्षता
जी-20 की बैठक की अध्यक्षता हर साल अलग देश करता है. पिछले साल ये बैठक इंडोनेशिया में हुई थी. उसके बाद इंडोनेशिया ने इस अध्यक्षता को भारत को सौंप दिया. इस साल भारत इस समूह की मेजबानी कर रहा है. इसके बाद वो ब्राजील को ये जिम्मा सौंपेगा और अगले साल ये बैठक ब्राजील में आयोजित होगी.
क्या है G-20 का काम
जी-20 का मूल एजेंडा आर्थिक सहयोग और वित्तीय स्थिरता का है, लेकिन समय के साथ व्यापार, जलवायु परिवर्तन, सस्टेनेबल डेवलपमेंट, स्वास्थ्य, कृषि और भ्रष्टाचार निरोधी एजेंडा भी इसमें शामिल कर लिया गया है. इसमें दो समानांतर तरीकों से चर्चा होती है, पहला फाइनेंशियल और दूसरा शेरपा ट्रैक. फाइनेंशियल ट्रैक में बातचीत का काम वित्त मंत्री संभालते हैं और शेरपा ट्रैक में शेरपा यानी वह व्यक्ति जिसे सरकार शेरपा के तौर पर नियुक्त करती है. चूंकि दुनिया की जीडीपी में 85 फीसदी हिस्सा जी-20 देशों का है. वहीं दुनिया के व्यापार में 75 फीसदी की हिस्सेदारी भी इन्हीं की है, ऐसे में इनकी बैठक को काफी अहम माना जाता है. इनका काम सभी सदस्य देशों के साथ समन्वय बनाना और नेगोशिएट करना होता है.
कई अन्य देशों और संगठनों को भी किया जाता है आमंत्रित
जी-20 की बैठक में इसके 20 सदस्य देशों के अलावा भी अन्य देशों को भी आमंत्रित किया जाता है. भारत ने इस साल 9 देशों को आमंत्रित किया है. ये देश हैं- बांग्लादेश, मिस्र, मॉरिशस, नीदरलैंड्स, नाइजीरिया, ओमान, सिंगापुर, स्पेन और यूएई. इसके अलावा यूनाइटेड नेशंस, इंटरनेशनल मोनेटरी फंड, वर्ल्ड बैंक, वर्ल्ड हेल्थ ऑरगेनाइजेशन, वर्ल्ड ट्रेड ऑरगेनाइजेशन जैसे संगठन जी-20 में नियमित रूप से आमंत्रित किए जाते हैं.