राष्ट्रीय सामाजिक सहायता कार्यक्रम पर CAG रिपोर्ट
- August 12, 2023
- Posted by: Akarias
- Category: Blog
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चर्चा में क्यों
भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (CAG) द्वारा वर्ष 2017-18 से वर्ष 2020-21 तक राष्ट्रीय सामाजिक सहायता कार्यक्रम (NSAP) के प्रदर्शन ऑडिट पर एक हालिया रिपोर्ट में योजना, वित्तीय प्रबंधन एवं कार्यान्वयन में कई अनियमितताओं तथा कल्याण योजना NSAP की निगरानी के मामले प्रदर्शित हुए हैं।
Thank you for reading this post, don't forget to subscribe!रिपोर्ट की मुख्य विशेषताएँ:
- प्रचार-प्रसार के लिये पेंशन फंड का दुरुपयोग:
- ग्रामीण विकास मंत्रालय (MoRD) ने NSAP के लिये आवंटित धन को अन्य मंत्रालय की योजनाओं के प्रचार अभियानों पर व्यय कर दिया, जो पेंशन वितरण के लिये है।
- NSAP के लिये आवंटित धनराशि पेंशन वितरण तथा प्रशासनिक व्ययों के लिये थी, जिसमें से 3% को भविष्य के लिये अलग रखा गया था।
- मंत्रालय तथा राज्य अथवा केंद्रशासित प्रदेश दोनों स्तरों पर धन के दुरुपयोग के मामलों की पहचान की गई।
- MoRD ने विभिन्न मंत्रालय कार्यक्रमों को बढ़ावा देने के लिये होर्डिंग्स के माध्यम से वर्ष 2017 में एक प्रचार अभियान प्रारंभ किया।
- होर्डिंग्स के लिये 39.15 लाख रुपए स्वीकृत किये गए और कई राज्यों में अभियानों के लिये 2.44 करोड़ रुपए स्वीकृत किये गए।
- इस अभियान के लिये आवंटित धन का उद्देश्य राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी योजना (National Rural Employment Guarantee Scheme) से था, लेकिन इसे NSAP योजनाओं से प्राप्त किया गया था।
- विज्ञापन विसंगतियाँ:
- CAG ने पाया कि विज्ञापन कार्य आदेशों में NSAP योजनाएँ शामिल नहीं थीं लेकिन प्रधानमंत्री आवास योजना- ग्रामीण (PMAY-G) और दीन दयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल्य योजना (DDU-GKY) जैसी योजनाओं पर प्रकाश डाला गया था।
- फंड डायवर्ज़न में शामिल राज्य:
- छह राज्यों (राजस्थान, छत्तीसगढ़, जम्मू-कश्मीर, ओडिशा, गोवा और बिहार) में पेंशन योजनाओं के लिये आवंटित धनराशि का दुरुपयोग किया गया।
- निहितार्थ और लाभार्थी प्रभाव:
- फंड डायवर्ज़न के कारण NSAP के तहत नियोजित सूचना, शिक्षा और संचार (Information, Education, and Communication- IEC) गतिविधियाँ प्रतिकूल रूप से प्रभावित हुईं।
- शुरुआत में NSAP IEC के लिये निर्धारित 2.83 करोड़ रुपए की धनराशि का उपयोग अन्य मंत्रालय की योजनाओं को बढ़ावा देने के लिये किया गया था।
राष्ट्रीय सामाजिक सहायता कार्यक्रम (NSAP):
- परिचय:
- NSAP को 15 अगस्त, 1995 को केंद्र प्रायोजित योजना के रूप में लॉन्च किया गया था।
- NSAP भारत के संविधान के अनुच्छेद 41 और 42 में निदेशक सिद्धांतों की पूर्ति की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण कदम का प्रतिनिधित्व करता है।
- NSAP का लक्ष्य गरीबी रेखा से नीचे के परिवारों से संबंधित प्राथमिक आय उत्पादक की मृत्यु पर वृद्ध व्यक्तियों, विधवाओं, विकलांग व्यक्तियों और शोक संतप्त परिवारों को सहायता प्रदान करना है।
- अवयव:
- NSAP की पाँच उप-योजनाएँ हैं:
- इंदिरा गांधी राष्ट्रीय वृद्धावस्था पेंशन योजना (IGNOAPS): इस योजना के तहत 60 वर्ष या उससे अधिक आयु के BPL व्यक्ति 79 वर्ष की आयु तक 200 रुपए और उसके बाद 500 रुपए की मासिक पेंशन के हकदार हैं।
- इंदिरा गांधी राष्ट्रीय विधवा पेंशन योजना (IGNWPS): 40-59 वर्ष की BPL विधवाएँ 200 रुपए की मासिक पेंशन की हकदार हैं।
- इंदिरा गांधी राष्ट्रीय विकलांगता पेंशन योजना (IGNDPS): गंभीर और एकाधिक विकलांगता वाले 18-59 वर्ष की आयु के BPL व्यक्ति 200 रुपए की मासिक पेंशन के हकदार हैं।
- राष्ट्रीय पारिवारिक लाभ योजना (NFBS): इस योजना के तहत एक BPL परिवार 18 से 64 वर्ष की आयु के प्राथमिक कमाने वाले की मृत्यु पर एकमुश्त धनराशि का हकदार है। सहायता राशि 10,000 रुपए है।
- अन्नपूर्णा: योजना के तहत उन वरिष्ठ नागरिकों को प्रतिमाह 10 किलोग्राम खाद्यान्न मुफ्त प्रदान किया जाता है, जो पात्र होते हुए भी NOAPS के तहत शामिल नहीं हुए हैं।
- NSAP की पाँच उप-योजनाएँ हैं:
- कार्यान्वयन:
- NSAP को ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा राज्य/केंद्रशासित प्रदेश सरकारों के सहयोग से कार्यान्वित किया जाता है।
- NSAP लाभार्थियों के बैंक खातों या डाक खातों में धनराशि स्थानांतरित करने के लिये प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (DBT) मोड का उपयोग करता है।
- NSAP का एक वेब पोर्टल है जो दिशा-निर्देश, रिपोर्ट, परिपत्र, शिकायत निवारण आदि पर जानकारी प्रदान करता है।
- प्रभाव:
- राष्ट्रीय सामाजिक सहायता कार्यक्रम ने गरीबी को कम करने, जीवन स्तर में सुधार लाने और लाभार्थियों की गरिमा तथा सशक्तीकरण में मदद की है।
- साथ ही इसने गरीबी उन्मूलन, सामाजिक सुरक्षा और समावेशन से संबंधित धारणीय विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने में भी योगदान दिया है।
- वर्ष 2017-21 के बीच सालाना लगभग 4.65 करोड़ लाभार्थी वृद्धावस्था, विधवा, विकलांगता पेंशन और पारिवारिक लाभ पर निर्भर थे।