PACS-FPO एकीकरण के अवसरों का आकलन केंद्रीय इस्पात राज्य मंत्री ने कहा है कि सीएसआईआर-सीआरआरआई की स्टील स्लैग रोड तकनीक प्रधानमंत्री के ‘वेस्ट टू वेल्थ’ मिशन को पूरा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है।
भारत का कृषि क्षेत्र विशाल और विविध है, जिससे 13 करोड़ से अधिक किसान संलग्न हैं, जिनमें से अधिकांश लघु एवं सीमांत किसान हैं। इन किसानों को सशक्त बनाने और वित्त, बाज़ार एवं सेवाओं तक उनकी पहुँच में सुधार करने के लिये सरकार ने विभिन्न पहलें शुरू की हैं, जैसे प्राथमिक कृषि सहकारी समितियों (Primary Agriculture Cooperative Societies- PACS) का कम्प्यूटरीकरण और किसान उत्पादक संगठनों (Farmer Producer Organizations- FPOs) का गठन।
Thank you for reading this post, don't forget to subscribe!PACS-FPO एकीकरण निकायों और किसानों दोनों के लिये ही लाभ का सौदा है। यह सहयोग एवं सहकार्यता के ऐसे मॉडल का सृजन कर सकता है जो अन्य क्षेत्रों और भू-भागों को प्रेरित कर सकता है।
ग्रामीण अर्थव्यवस्था को रूपांतरित करने और किसानों की आय एवं आजीविका बढ़ाने में ये दोनों निकाय महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। हालाँकि अपनी पूरी क्षमता हासिल करने के लिये उन्हें सहक्रियात्मक और सहयोगात्मक तरीके से मिलकर कार्य करने की ज़रूरत है।
विवरण:
- भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा इस्पात उत्पादक राष्ट्र है और देश में ठोस अपशिष्ट के रूप में लगभग 19 मिलियन टन स्टील स्लैग उत्पन्न होता है, जो वर्ष 2030 तक बढ़कर 60 मिलियन टन हो जायेगा। (एक टन स्टील उत्पादन में लगभग 200 किलोग्राम स्टील स्लैग उत्पन्न होता है)
- इस्पात अपशिष्ट के कुशल निपटान तरीकों की अनुपलब्धता के कारण ही इस्पात संयंत्र के आसपास स्टील स्लैग के विशाल ढेर लग गए हैं। यही अपशिष्ट जल, वायु और भूमि प्रदूषण का एक प्रमुख कारक बन गए हैं।
- गुजरात के सूरत में स्टील स्लैग रोड तकनीक से बनी पहली सड़क राष्ट्रीय और क्षेत्रीय स्तर पर अपनी तकनीकी उत्कृष्टता के लिए प्रसिद्ध हो गई है। आर्सेलरमित्तल निप्पॉन स्टील के हजीरा इस्पात संयंत्र से सीआरआरआई के तकनीकी मार्गदर्शन में इस सड़क के निर्माण के दौरान लगभग एक लाख टन स्टील स्लैग अपशिष्ट का उपयोग किया गया है। इसको तैयार करने में किसी भी प्रकार की प्राकृतिक गिट्टी और रोड़ी का उपयोग नहीं किया गया है।
- सीमा सड़क संगठन ने भारत-चीन सीमा पर सीआरआरआई और टाटा स्टील के साथ मिलकर अरुणाचल प्रदेश में स्टील स्लैग रोड का निर्माण किया है, जो भारत पारंपरिक सड़कों की तुलना में काफी लंबे समय तक टिकी रहती हैं। इसी प्रकार से भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) ने भी सीआरआरआई द्वारा दिये गए तकनीकी मार्गदर्शन में जेएसडब्ल्यू स्टील के सहयोग से राष्ट्रीय राजमार्ग -66 (मुंबई-गोवा) पर सड़क निर्माण में इस तकनीक का सफलतापूर्वक इस्तेमाल किया है।
- इस्पात मंत्रालय पूरे देश में स्टील स्लैग सड़क निर्माण तकनीक के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय तथा सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय के साथ मिलकर कार्य कर रहा है।
PACS और FPOs:
- प्राथमिक कृषि सहकारी समितियाँ (PACS):
- PACS सहकारी समितियाँ हैं जो अपने सदस्यों, जिनमें अधिकतर किसान हैं, को अल्पकालिक ऋण और अन्य सेवाएँ प्रदान करती हैं।
- वे भारत में सहकारी ऋण संरचना के ज़मीनी स्तर के संस्थान हैं।
- देश में लगभग 90,000 PACS हैं, 13 करोड़ किसान जिनके सदस्य हैं।
- कम्प्यूटरीकरण द्वारा PACS को रूपांतरित किया जा रहा है; वे बहुसेवा प्रदान कर रहे हैं, जन सेवा केंद्र(CSC) के रूप में बिजली, जल, दवाओं का वितरण और अन्य सेवाएँ प्रदान कर रहे हैं।
- किसान उत्पादक संगठन (FPOs):
- FPOs किसानों के समूह द्वारा गठित ऐसे विधिक निकाय हैं जो समान हित और लक्ष्य साझा करते हैं।
- वे विभिन्न विधिक रूपों—जैसे सहकारी समितियों, कंपनियों, ट्रस्ट या समितियों के तहत पंजीकृत होते हैं।
- FPOs का लक्ष्य छोटे और सीमांत किसानों की उपज और सौदेबाजी शक्ति का समूहन कर वित्त और बाज़ारों तक उनकी पहुँच को बेहतर बनाना है।
- वे अपने सदस्यों को तकनीकी सहायता, इनपुट आपूर्ति, मूल्यवर्द्धन और गुणवत्ता आश्वासन भी प्रदान करते हैं।
- देश में लगभग 7,500 FPOs कार्यरत हैं, जो विभिन्न एजेंसियों द्वारा पंजीकृत हैं।
- PACS देश में सहकारिता की रीढ़ हैं और इनके माध्यम से ग्रामीण क्षेत्रों में CSC सेवाओं की डिलिवरी से रोजगार के अवसर बढ़ेंगे। PACS देश के सहकारिता आंदोलन की मूल इकाई हैं, इसलिए सरकार इनकी व्यवहार्यता में सुधार के निरंतर प्रयास कर रही है। ग्रामीणों को क्रेडिट सेवाएं उपलब्ध कराने के लिए सहकारिता मंत्रालय के पास देशभर में प्राथमिक कृषि ऋण समितियों (PACS) का एक बड़ा नेटवर्क है।
- सरकार देश में पहली बार PACS के कम्प्यूटरीकरण पर काम कर रही है। इस प्रक्रिया का उद्देश्य PACS की गतिविधियों में पारदर्शिता और इनके वित्तीय अनुशासन में सुधार लाना है। PACS को मजबूत करने के लिए सरकार, राष्ट्रीय सहकारिता विश्वविद्यालय, राष्ट्रीय सहकारी नीति और सहकारी डेटाबेस बना रही है। PACS को बहुउद्देशीय बनाकर सरकार ने किसानों की आय बढ़ाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाया है। बीज, जैविक खेती के विपणन और किसानों की उपज के निर्यात के लिए बहुराज्यीय सहकारी समितियों का गठन किया गया है।
- सहकारिता मंत्रालय द्वारा सभी हितधारकों के साथ विचार-विमर्श के बाद तैयार किए गए मॉडल बायलॉज़, PACS को डेयरी, मत्स्य पालन, गोदाम, कस्टम हायरिंग केंद्र, उचित मूल्य की दुकानों, एलपीजी/डीजल/पेट्रोल डिस्ट्रीब्यूटरशिप, आदि सहित 25 से अधिक आर्थिक गतिविधियों को शुरू करके अपने व्यवसाय में विविधता लाने में सक्षम बनाएंगे।
- इसके अलावा, संबंधित मंत्रालयों के परामर्श से, PACS को कॉमन सर्विस सेंटर (CSC) के रूप में कार्य करने, एफपीओ बनाने, एलपीजी डिस्ट्रीब्यूटरशिप के लिए आवेदन करने, खुदरा पेट्रोल/डीजल पंप आउटलेट खोलने, जन औषधि केंद्र खोलने, उर्वरक वितरण केंद्रों के रूप में काम करने आदि के लिए भी सक्षम बनाया गया है।
PACS और FPOs की सामूहिक भूमिका:
- ऋण में सहयोग:
- PACS, FPOs और उनके सदस्यों को रियायती दरों एवं लचीली शर्तों पर ऋण एवं अन्य सेवाएँ प्रदान कर सकते हैं। इससे FPOs को अपनी वित्तीय बाधाओं को दूर करने और अपने परिचालन स्तर को बढ़ाने में मदद मिलेगी।
- बेहतर नेटवर्किंग:
- FPOs अधिक किसानों और बाज़ारों तक पहुँच बनाने के लिये PACS के मौजूदा नेटवर्क और अवसंरचना का लाभ उठा सकते हैं। इससे FPOs को अपनी लेनदेन लागत कम करने और अपनी दक्षता बढ़ाने में मदद मिलेगी।
- सामूहिक विपणन:
- PACS अपनी उपज के लिये बेहतर मूल्य और गुणवत्ता प्राप्त करके FPOs की सामूहिक विपणन और मूल्य संवर्द्धन गतिविधियों से लाभ उठा सकते हैं। इससे PACS को अपनी लाभप्रदता और स्थिरता में सुधार लाने में मदद मिलेगी।
- सामाजिक पूंजी का लाभ उठाना:
- FPOs अपने प्रशासन और निर्णयन में किसानों को शामिल करके PACS के पास मौजूद सामाजिक पूंजी एवं भरोसे से लाभ उठा सकते हैं। इससे FPOs को अपनी वैधता और जवाबदेही बढ़ाने में मदद मिलेगी।
- अन्य आर्थिक सहयोग:
- PACS और FPOs संयुक्त रूप से मधुमक्खी पालन, मशरूम की खेती, गैर-कृषि गतिविधियों (हथकरघा, हस्तशिल्प, यात्रा, मीडिया, शिक्षा एवं स्वास्थ्य) जैसी उच्च आय सृजन करने वाली गतिविधियों पर संयुक्त रूप से कार्य कर सकते हैं।