प्रधान मंत्री मत्स्य सम्पदा योजना (PMMSY), कार्यान्वयन के चौथे वर्ष में प्रवेश कर रही है। ऐसे में मत्स्य पालन विभाग योजना के कार्यान्वयन की गति में तीव्रता लाने की योजना बना रहा है।
Thank you for reading this post, don't forget to subscribe!- इस योजना के भाग के रूप में, विभाग ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों (UT) के साथ समीक्षा बैठकों की एक शृंखला निर्धारित की है। इसकी प्रथम समीक्षा बैठक हाल ही में भारत के पूर्वोत्तर क्षेत्र (NER) में संपन्न हुई।
प्रधानमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना (PMSSY)
- परिचय:
- इसका उद्देश्य भारत में मत्स्य पालन क्षेत्र के सतत् और ज़िम्मेदार विकास के माध्यम से नीली क्रांति लाना है।
- PMMSY को 20,050 करोड़ रुपये के निवेश के साथ ‘आत्मनिर्भर भारत‘ के हिस्से के रूप में पेश किया गया था। जो इस क्षेत्र में अब तक का सबसे अधिक निवेश है।
- यह योजना वित्त वर्ष 2020-21 से वित्त वर्ष 2024-25 तक 5 वर्षों की अवधि के लिये सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में लागू की जा रही है।
- संस्थागत ऋण तक पहुँच को सुविधाजनक बनाने हेतु मछुआरों को बीमा कवरेज, वित्तीय सहायता और किसान क्रेडिट कार्ड (KCC) की सुविधा भी प्रदान की जाती है।
- कार्यान्वयन:
- इसे दो अलग-अलग घटकों के साथ एक अम्ब्रेला योजना के रूप में लागू किया गया है:
- केंद्रीय क्षेत्र योजना: इस परियोजना की लागत केंद्र सरकार द्वारा वहन की जाएगी।
- केंद्र प्रायोजित योजना: सभी उप-घटक/गतिविधियाँ राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों द्वारा कार्यान्वित की जाएंगी और लागत केंद्र एवं राज्य के बीच साझा की जाएगी।
- इसे दो अलग-अलग घटकों के साथ एक अम्ब्रेला योजना के रूप में लागू किया गया है:
- उद्देश्य:
- मत्स्य पालन क्षेत्र की क्षमता का टिकाऊ, उत्तरदायी, समावेशी और न्यायसंगत तरीके से उपयोग करना।
- भूमि और जल के विस्तार, सघनीकरण, विविधीकरण और उत्पादक उपयोग के माध्यम से मत्स्य उत्पादन तथा उत्पादकता बढ़ाना।
- फसल कटाई के बाद प्रबंधन और गुणवत्ता में सुधार सहित मूल्य शृंखला को आधुनिक एवं मज़बूत बनाना।
- मछुआरों और मत्स्य किसानों की आय दोगुनी करना तथा सार्थक रोज़गार के अवसर उत्पन्न करना।
- कृषि सकल मूल्य वर्द्धित (Gross Value Added- GVA) और निर्यात में मत्स्य पालन क्षेत्र का योगदान बढ़ाना।
- मछुआरों और मत्स्य किसानों हेतु सामाजिक, भौतिक एवं आर्थिक सुरक्षा सुनिश्चित करना।
- मज़बूत मत्स्य पालन प्रबंधन और नियामक ढाँचा स्थापित करना।
- महत्त्व:
- भारतीय अर्थव्यवस्था में मत्स्य पालन क्षेत्र महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह राष्ट्रीय आय, निर्यात, खाद्य और पोषण सुरक्षा के साथ-साथ रोज़गार सृजन में योगदान देता है।
- यह क्षेत्र प्राथमिक स्तर पर 2.8 करोड़ से अधिक मछुआरों और इस क्षेत्र से जुड़े कई अन्य लोगों को आजीविका प्रदान करता है।
- यह देश की आर्थिक रूप से वंचित आबादी के एक बड़े हिस्से के लिये आय का एक प्रमुख स्रोत है।
- मछली उत्पादन में सुधार के लिये एकीकृत मछली पालन और मछली उत्पादन में विविधता लाना आवश्यक है।
- इसके अतिरिक्त विदेशी मुद्रा आय में मत्स्य पालन क्षेत्र का प्रमुख योगदान रहा है, भारत विश्व के अग्रणी समुद्री खाद्य पदार्थ (Seafood) निर्यातकों में से एक है।
- वित्त वर्ष 2020 में देश के कुल मत्स्य निर्यात में जलीय कृषि उत्पादों का हिस्सा 70-75% था।
- भारतीय अर्थव्यवस्था में मत्स्य पालन क्षेत्र महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह राष्ट्रीय आय, निर्यात, खाद्य और पोषण सुरक्षा के साथ-साथ रोज़गार सृजन में योगदान देता है।
- उपलब्धियाँ:
- PMMSY के तहत वर्ष 2020-21 से वर्ष 2022-23 तक 14,654.67 करोड़ रुपए की परियोजनाओं को मंज़ूरी दी गई है।
- वित्त वर्ष 2021-22 के दौरान मछली उत्पादन 16.25 मिलियन मीट्रिक टन के अब तक के सबसे उच्च स्तर पर पहुँच गया, जिसमें समुद्री निर्यात 57,586 करोड़ रुपए का था।
- विश्व स्तर पर तीसरे सबसे बड़े मछली उत्पादक और दूसरे सबसे बड़े जलीय कृषि उत्पादक के रूप में भारत में मत्स्य पालन एवं जलीय कृषि उद्योग प्राथमिकता वाले क्षेत्र हैं।
- वित्त वर्ष 2021-22 के दौरान मछली उत्पादन 16.25 मिलियन मीट्रिक टन के अब तक के सबसे उच्च स्तर पर पहुँच गया, जिसमें समुद्री निर्यात 57,586 करोड़ रुपए का था।
- PMMSY के तहत वर्ष 2020-21 से वर्ष 2022-23 तक 14,654.67 करोड़ रुपए की परियोजनाओं को मंज़ूरी दी गई है।
योजना के कार्यान्वयन में चुनौतियाँ:
- अवसंरचनात्मक और तकनीकी अंतराल:
- मत्स्य पालन क्षेत्र को मछली उत्पादन, प्रसंस्करण, भंडारण, परिवहन एवं विपणन हेतु पर्याप्त बुनियादी ढाँचे तथा प्रौद्योगिकी की कमी का सामना करना पड़ता है।
- मानव संसाधन विकास का अभाव:
- मत्स्य कृषकों और मछुआरों के लिये कुशल एवं प्रशिक्षित जनशक्ति तथा सेवाओं में विस्तार की कमी इस क्षेत्र में सर्वोत्तम प्रथाओं, नवाचारों एवं मानकों को प्रभावित करती है।
- वित्तीय समावेशन और सामाजिक सुरक्षा:
- मत्स्य कृषकों और मछुआरों के लिये समय पर ऋण तथा बीमा की अपर्याप्त पहुँच का कारण उन्हें प्राकृतिक आपदाओं, बीमारियों, बाज़ार में उतार-चढ़ाव आदि जैसे विभिन्न जोखिमों एवं कमज़ोरियों का सामना करना पड़ता है।
- विनियामक और कानूनी अनुपालन:
- मत्स्य पालन क्षेत्र को मछली पकड़ने के अधिकार, लाइसेंस, कोटा, संरक्षण उपाय, गुणवत्ता नियंत्रण आदि जैसे मत्स्य प्रबंधन के लिये विनियामक और कानूनी ढाँचे, जागरूकता एवं अनुपालन की कमी का सामना करना पड़ता है। यह क्षेत्र की स्थिरता और प्रतिस्पर्द्धात्मकता को प्रभावित करता है।