रैपिड डिवाइस चार्जिंग के लिये पेपर-बेस्ड सुपरकैपेसिटर
- June 24, 2023
- Posted by: Akarias
- Category: Blog
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गुजरात ऊर्जा अनुसंधान और प्रबंधन संस्थान (GERMI) के वैज्ञानिकों ने पेपर-बेस्ड सुपरकैपेसिटर के विकास के साथ ऊर्जा भंडारण प्रौद्योगिकी में एक अभूतपूर्व सफलता हासिल की है।
Thank you for reading this post, don't forget to subscribe!- समुद्री शैवाल से प्राप्त यह अत्याधुनिक सुपरकैपेसिटर हल्का, बायोडिग्रेडेबल और मात्र 10 सेकंड के अंदर डिवाइस को पूरी तरह से चार्ज करने में सक्षम जैसी उल्लेखनीय विशेषताओं का दावा करता है।
पेपर-बेस्ड सुपरकैपेसिटर:
- परिचय:
- GERMI शोधकर्त्ताओं द्वारा विकसित पेपर-बेस्ड सुपरकैपेसिटर अपनी तरह का सबसे पतला और सबसे हल्का सुपरकैपेसिटर है।
- समुद्री शैवाल से प्राप्त सेलुलोज़ नैनोफाइबर के लाभ से टीम ने सफलतापूर्वक एक एनोडिक पेपर सुपरकैपेसिटर बनाया जो असाधारण लचीलापन (Tensile Strength), प्रदर्शन और लागत-प्रभावशीलता प्रदर्शित करता है।
- अनुप्रयोग और व्यावसायिक संभावनाएँ:
- इस नवोन्वेषी सुपरकैपेसिटर के कई अनुप्रयोग हैं, जिनमें इलेक्ट्रॉनिक्स, मेमोरी बैकअप सिस्टम, एयरबैग, भारी मशीनरी और इलेक्ट्रिक वाहन शामिल हैं।
- परिणामस्वरूप यह उच्च-प्रदर्शन ऊर्जा भंडारण समाधान चाहने वाले उद्योगों के लिये एक आकर्षक व्यावसायिक संभावना प्रस्तुत करता है।
- प्रौद्योगिकी की पर्यावरण-अनुकूल प्रकृति इसे निर्माताओं और उपभोक्ताओं दोनों के लिये एक आकर्षक विकल्प बनाती है।
- समुद्री सेलुलोज़ की क्षमता:
- पेपर सुपरकैपेसिटर के उल्लेखनीय गुण समुद्री शैवाल से प्राप्त समुद्री सेलुलोज़-आधारित सामग्री के कारण हैं।
- यह सामग्री विभिन्न स्मार्ट इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों में एकीकरण की अपार संभावनाएँ रखती है।
- इसके अतिरिक्त समुद्री शैवाल की खेती तटीय समुदायों के लिये राजस्व के स्रोत के रूप में काम कर सकती है, जिससे आर्थिक अवसर और सतत् विकास हो सकता है।
- पेपर सुपरकैपेसिटर के उल्लेखनीय गुण समुद्री शैवाल से प्राप्त समुद्री सेलुलोज़-आधारित सामग्री के कारण हैं।
समुद्री शैवाल:
- परिचय:
- समुद्री शैवाल मैक्रोएल्गी हैं जो चट्टान या अन्य सब्सट्रेट से जुड़े होते हैं और तटीय क्षेत्रों में पाए जाते हैं।
- उन्हें उनकीके रंजकता के आधार पर क्लोरोफाइटा (हरा), रोडोफाइटा (लाल) और फियोफाइटा (भूरा) के रूप में वर्गीकृत किया गया है।
- उनमें से क्लोरोफाइटा में अधिक संभावित घटक कार्बोहाइड्रेट, लिपिड, प्रोटीन और बायोएक्टिव यौगिक होते हैं।
- महत्त्व:
- पोषण मूल्य: समुद्री शैवाल विटामिन, खनिज और आहार फाइबर सहित आवश्यक पोषक तत्त्वों से भरपूर होते हैं।
- औषधीय प्रयोजन के लिये: कई समुद्री शैवालों में सूजनरोधी और रोगाणुरोधी एजेंट होते हैं। कुछ समुद्री शैवालों में शक्तिशाली कैंसर से लड़ने वाले एजेंट होते हैं।
- जैव सूचक: जब कृषि, उद्योगों, जलीय कृषि और घरों से निकलने वाले अपशिष्ट को समुद्र में छोड़ दिया जाता है, तो यह पोषक तत्त्वों के असंतुलन का कारण बनता है, जिससे एल्गी ब्लूम होता है, जो समुद्री रासायनिक क्षति का सूचक है।
- ये समुद्री शैवाल अतिरिक्त पोषक तत्त्वों को अवशोषित करते हैं और पारिस्थितिकी तंत्र को संतुलित करते हैं।
- ऑक्सीजन उत्पादन: समुद्री शैवाल, प्रकाश संश्लेषक जीवों के रूप में प्रकाश संश्लेषण के माध्यम से ऑक्सीजन का उत्पादन करके समुद्री जीवन के श्वसन एवं अस्तित्व को बनाए रखते हुए समुद्री पारिस्थितिक तंत्र में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
- सेलुलोज़ सामग्री: गुजरात के पोरबंदर तट से एकत्र की गई ग्रीन सीवीड की कोशिका भित्ति में एक विशेष प्रकार के सेलुलोज़ की उच्च मात्रा पाई गई है।
- ऊर्जा भंडारण अनुप्रयोगों हेतु बैटरी जैसे पेपर-बेस्ड इलेक्ट्रोड बनाने के लिये सबसे उपयुक्त बायोपॉलिमर सामग्री सेलुलोज़ के रूप में खोजी गई है।
- सेलुलोज़ स्वयं एक इन्सुलेशन सामग्री है जिसे पेपर-बेस्ड ऊर्जा भंडारण उपकरण बनाने हेतु प्रवाहकीय सामग्री के साथ लेपित किया जाता है।
- ऊर्जा भंडारण अनुप्रयोगों हेतु बैटरी जैसे पेपर-बेस्ड इलेक्ट्रोड बनाने के लिये सबसे उपयुक्त बायोपॉलिमर सामग्री सेलुलोज़ के रूप में खोजी गई है।
- समुद्री शैवाल की खेती:
- वैश्विक समुद्री शैवाल उत्पादन में से लगभग 32 मिलियन टन ताज़े शैवाल का मूल्य लगभग 12 बिलियन अमेरिकी डॉलर है।
- एक अनुमान के अनुसार, यदि 10 मिलियन हेक्टेयर क्षेत्र अथवा भारत के विशेष आर्थिक क्षेत्र के 5% में खेती की जाए, तो इससे लगभग 50 मिलियन लोगों को रोज़गार प्रदान किया जा सकता है। इससे राष्ट्रीय सकल घरेलू उत्पाद में योगदान और समुद्री उत्पादकता को बढ़ावा दिया जा सकता है, शैवाल के विकास को कम किया सकता है, लाखों टन कार्बन को पृथक किया जा सकता है और साथ ही 6.6 बिलियन लीटर जैव-एथेनॉल का उत्पादन भी किया जा सकता है।
- चीन और इंडोनेशिया द्वारा क्रमशः लगभग 57% और 28% का उत्पादन किया जाता है, इसके बाद दक्षिण कोरिया का स्थान है, जबकि भारत की हिस्सेदारी मात्र 0.01-0.02% की है।
- एक अनुमान के अनुसार, यदि 10 मिलियन हेक्टेयर क्षेत्र अथवा भारत के विशेष आर्थिक क्षेत्र के 5% में खेती की जाए, तो इससे लगभग 50 मिलियन लोगों को रोज़गार प्रदान किया जा सकता है। इससे राष्ट्रीय सकल घरेलू उत्पाद में योगदान और समुद्री उत्पादकता को बढ़ावा दिया जा सकता है, शैवाल के विकास को कम किया सकता है, लाखों टन कार्बन को पृथक किया जा सकता है और साथ ही 6.6 बिलियन लीटर जैव-एथेनॉल का उत्पादन भी किया जा सकता है।
- वैश्विक समुद्री शैवाल उत्पादन में से लगभग 32 मिलियन टन ताज़े शैवाल का मूल्य लगभग 12 बिलियन अमेरिकी डॉलर है।