हाल ही में विश्व आर्थिक मंच द्वारा ग्लोबल जेंडर गैप रिपोर्ट का 17वाँ संस्करण- ग्लोबल जेंडर गैप रिपोर्ट 2023 जारी की गई है, जिसमें 146 देशों में लैंगिक समानता की स्थिति का मूल्यांकन किया गया है।
Thank you for reading this post, don't forget to subscribe!रिपोर्ट के प्रमुख बिंदु: WEF
- ग्लोबल जेंडर गैप स्कोर/अंक:
- वर्ष 2023 में ग्लोबल जेंडर गैप स्कोर 68.4% है, इसमें पिछले वर्ष की तुलना में 0.3% का मामूली सुधार हुआ है।
- प्रगति की वर्तमान दर पर पूर्ण लैंगिक समानता हासिल करने में 131 वर्ष लगेंगे, जो यह दर्शाता है कि परिवर्तन की समग्र दर काफी धीमी है।
- शीर्ष रैंकिंग वाले देश:
- 91.2% के लैंगिक अंतर/जेंडर गैप स्कोर के साथ आइसलैंड ने लगातार 14वें वर्ष सबसे अधिक लैंगिक समता वाले देश के रूप में अपनी स्थिति बरकरार रखी है।
- यह एकमात्र ऐसा देश है जो लैंगिक अंतर को 90% से अधिक कम करने में सफल हुआ है।
- आइसलैंड के बाद तीन नॉर्डिक देश- नॉर्वे (87.9%), फिनलैंड (86.3%) और स्वीडन (81.5%) का स्थान है, यह इन देशों की लैंगिक समानता के प्रति प्रतिबद्धता को उजागर करता है।
- 91.2% के लैंगिक अंतर/जेंडर गैप स्कोर के साथ आइसलैंड ने लगातार 14वें वर्ष सबसे अधिक लैंगिक समता वाले देश के रूप में अपनी स्थिति बरकरार रखी है।
- स्वास्थ्य और उत्तरजीविता:
- विश्व स्तर पर स्वास्थ्य और उत्तरजीविता में लैंगिक अंतर 96% कम हो गया है।
- राजनीतिक सशक्तीकरण:
- राजनीतिक सशक्तीकरण में लैंगिक अंतर को समाप्त करने में 162 वर्ष लगेंगे, जिसकी वर्तमान में विश्व भर में समापन दर 22.1% है।
- शैक्षणिक उपलब्धि:
- शैक्षिक उपलब्धि में वर्ष 2006-2023 की अवधि में महत्त्वपूर्ण प्रगति के साथ लैंगिक अंतर 95.2% कम हो गया है।
- शैक्षणिक उपलब्धि में लैंगिक अंतर 16 वर्षों में कम होने का अनुमान है।
- आर्थिक भागीदारी और अवसर:
- वैश्विक स्तर पर आर्थिक भागीदारी और अवसर में लैंगिक अंतर 60.1% है, यह आँकड़ा कार्यबल में लैंगिक समानता हासिल करने में स्थायी चुनौतियों को उजागर करता है।
- आर्थिक भागीदारी और अवसर में लैंगिक अंतर 169 वर्षों में कम होने का अनुमान है।
जेंडर गैप रिपोर्ट 2023 में भारत का प्रदर्शन: WEF
- भारत का रैंक:
- भारत ने महत्त्वपूर्ण प्रगति की है, रिपोर्ट के 2023 संस्करण में भारत 146 देशों में 135वें (2022 में) से 127वें स्थान पर पहुँच गया है, जो इसकी रैंकिंग में सुधार का संकेत देता है।
- भारत के पड़ोसी देश पाकिस्तान 142वें, बांग्लादेश 59वें, चीन 107वें, नेपाल 116वें, श्रीलंका 115वें और भूटान 103वें स्थान पर हैं।
- पिछले संस्करण के बाद से देश में 1.4 प्रतिशत अंक और आठ स्थान का सुधार हुआ है जो कि वर्ष 2020 के समता स्तर की ओर आंशिक सुधार को दर्शाता है।
- भारत ने समग्र लैंगिक अंतर को 64.3% कम कर दिया है।
- भारत ने महत्त्वपूर्ण प्रगति की है, रिपोर्ट के 2023 संस्करण में भारत 146 देशों में 135वें (2022 में) से 127वें स्थान पर पहुँच गया है, जो इसकी रैंकिंग में सुधार का संकेत देता है।
- शिक्षा में लैंगिक समानता:
- भारत ने शिक्षा के सभी स्तरों पर नामांकन में लैंगिक समानता हासिल कर ली है जो देश की शिक्षा प्रणाली में सकारात्मक विकास को दर्शाता है।
- आर्थिक भागीदारी और अवसर:
- आर्थिक भागीदारी और अवसर के क्षेत्र में प्रगति भारत के लिये एक चुनौती बनी हुई है। इस क्षेत्र में केवल 36.7% लैंगिक समानता हासिल की गई है।
- जबकि वेतन और आय समानता में वृद्धि हुई है। वरिष्ठ या उच्च पदों एवं तकनीकी भूमिकाओं में महिलाओं के प्रतिनिधित्व में मामूली गिरावट आई है।
- राजनीतिक सशक्तीकरण:
- भारत ने राजनीतिक सशक्तीकरण में प्रगति की है तथा इस क्षेत्र में 25.3% समानता हासिल की है। संसद में कुल सांसदों की तुलना में महिला सांसद प्रतिनिधित्व 15.1% है जो वर्ष 2006 में प्रारंभिक रिपोर्ट के बाद से सबसे अधिक है।
- बोलीविया (50.4%), भारत (44.4%) और फ्राँस (42.3%) सहित 18 देशों ने स्थानीय शासन में 40% से अधिक महिलाओं का प्रतिनिधित्व हासिल कर लिया है।
- स्वास्थ्य और उत्तरजीविता:
- एक दशक से अधिक की धीमी प्रगति के बाद भारत में जन्म के समय लिंगानुपात में 1.9% अंक का सुधार हुआ है।
- हालाँकि वियतनाम, चीन और अज़रबैजान के साथ-साथ भारत का स्कोर अभी भी विषम लिंगानुपात के कारण स्वास्थ्य एवं उत्तरजीविता उप-सूचकांक में अपेक्षाकृत कम है।
भारत का प्रदर्शन:
पिछली बार से भारत की स्थिति में 1.4 फीसदी अंकों और आठ स्थानों का सुधार हुआ है और यह 2020 के समानता स्तर की ओर आंशिक रूप से पहुंचा है। देश ने शिक्षा के सभी स्तरों पर पंजीकरण में समानता हासिल कर ली है। भारत ने अपने 64.3 प्रतिशत लैंगिक अंतराल को पाट दिया है। इस सूचकांक में पाकिस्तान का 142वां, बांग्लादेश का 59वां, चीन का 107वां, नेपाल का 116वां, श्रीलंका का 115वां और भूटान का 103वां स्थान है। आइसलैंड लगातार 14वें साल सबसे अधिक लैंगिक समानता वाला देश बना हुआ है।