भारत सरकार-संयुक्त राष्ट्र सतत् विकास सहयोग ढाँचा 2023-2027
- June 21, 2023
- Posted by: Akarias
- Category: Blog
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हाल ही में नीति आयोग और संयुक्त राष्ट्र ने भारत सरकार-संयुक्त राष्ट्र सतत् विकास सहयोग ढाँचा (Government of India-United Nations Sustainable Development Cooperation Framework (GoI-UNSDCF) 2023-2027 पर हस्ताक्षर किये।
Thank you for reading this post, don't forget to subscribe!- संयुक्त राष्ट्र महासभा इस ढाँचे को देश स्तर पर संयुक्त राष्ट्र विकास प्रणाली हेतु प्रमुख योजना और कार्यान्वयन साधन के रूप में नामित करती है।
- यह ढाँचा विकास हेतु भारत के राष्ट्रीय दृष्टिकोण के साथ संरेखित करता है और इसका उद्देश्य सतत् विकास लक्ष्य (Sustainable Development Goals- SDG) को प्राप्त करना है, जिसमें लैंगिक समानता, युवा सशक्तीकरण एवं मानव अधिकारों पर ज़ोर दिया गया है।
प्रमुख बिंदु
- सामरिक स्तंभ और परिणाम क्षेत्र:
- GoI-UNSDCF 2023-2027 को एजेंडा, 2030 से प्राप्त चार सामरिक स्तंभों पर बनाया गया है:
- लोग, समृद्धि, ग्रह और भागीदारी।
- चार स्तंभों में छह परिणाम क्षेत्र शामिल हैं:
- स्वास्थ्य और कल्याण
- पोषण और खाद्य सुरक्षा
- गुणवत्तापूर्ण शिक्षा
- आर्थिक विकास और उचित कार्य
- पर्यावरण, जलवायु, WASH (जल, सफाई और स्वच्छता) तथा सुनम्यता
- लोगों, समुदायों और संस्थानों को सशक्त बनाना
- GoI-UNSDCF 2023-2027 को एजेंडा, 2030 से प्राप्त चार सामरिक स्तंभों पर बनाया गया है:
- लक्ष्य:
- GoI-UNSDCF सतत् विकास लक्ष्यों (SDG) के स्थानीयकरण एवं दक्षिण-दक्षिण सहयोग (South-South Cooperation) पर विशेष बल देता है, यह सतत् विकास लक्ष्यों को लागू करने और उसमें तेज़ी लाने में भारत के नेतृत्त्व के साथ सामंजस्य स्थापित करता है।
- “SDG स्थानीयकरण” स्थानीय स्तर पर SDG को व्यावहारिक रूप देने की प्रक्रिया है, जो राष्ट्रीय ढाँचे और समुदायों की प्राथमिकताओं के अनुरूप हो।
- भारत का लक्ष्य विश्व स्तर पर अपने विकास मॉडल प्रदर्शित करना और दक्षिण-दक्षिण सहयोग को सक्रिय रूप से बढ़ावा देना है।
- GoI-UNSDCF सतत् विकास लक्ष्यों (SDG) के स्थानीयकरण एवं दक्षिण-दक्षिण सहयोग (South-South Cooperation) पर विशेष बल देता है, यह सतत् विकास लक्ष्यों को लागू करने और उसमें तेज़ी लाने में भारत के नेतृत्त्व के साथ सामंजस्य स्थापित करता है।
- कार्यान्वयन और निगरानी:
- GoI-UNSDCF 2023-2027 के कार्यान्वयन, निगरानी और रिपोर्टिंग का संयुक्त संचालन एक संयुक्त संचालन समिति के माध्यम से भारत सरकार और संयुक्त राष्ट्र द्वारा किया जाएगा।
सतत् विकास लक्ष्य (SDG):
- सतत् विकास लक्ष्यों (SDG) को वैश्विक लक्ष्यों के रूप में भी जाना जाता है, वर्ष 2015 में संयुक्त राष्ट्र द्वारा गरीबी को समाप्त करने, ग्रह की रक्षा और वर्ष 2030 तक सभी की शांति एवं समृद्धि सुनिश्चित करने के लिये इसे एक सार्वभौमिक आह्वान के रूप में अपनाया गया था।
- 17 SGD एकीकृत हैं- इन लक्ष्यों के अंतर्गत एक क्षेत्र में की गई कार्रवाई दूसरे क्षेत्र के परिणामों को प्रभावित करेगी और इनके अंतर्गत सामाजिक, आर्थिक तथा पर्यावरणीय रूप से स्थिर/वहनीय विकास होगा।
- यह पिछड़े देशों को विकास क्रम में प्राथमिकता प्रदान करता है।
- SDG को गरीबी, भुखमरी, एड्स और महिलाओं के खिलाफ भेदभाव को समाप्त करने के लिये बनाया गया है।
- भारत ने हाल के वर्षों में विशेष रूप से SDG के 13वें लक्ष्य को प्राप्त करने के लिये महत्त्वपूर्ण प्रयास किये हैं।
- यह लक्ष्य जलवायु परिवर्तन और इसके प्रभावों से निपटने के लिये तत्काल कार्रवाई करने का आह्वान करता है।
- ट्रांस्फॉर्मिंग आवर वर्ल्ड: द 2030 एजेंडा फॉर सस्टेनेबल डेवलपमेंट’ के संकल्प को, जिसे सतत विकास लक्ष्यों के नाम से भी जाना जाता है।
- भारत सहित 193 देशों ने सितंबर, 2015 में संयुक्त राष्ट्र महासभा की उच्च स्तरीय पूर्ण बैठक में इसे स्वीकार किया था और एक जनवरी, 2016 को यह लागू किया गया।
- इसके तहत 17 लक्ष्य तथा 169 उपलक्ष्य निर्धारित किये गए थे जिन्हें 2016-2030 की अवधि में प्राप्त करना है। उल्लेखनीय है कि इसमें से 8 लक्ष्य सहस्त्राब्दि विकास लक्ष्यों से लिये गए है, जिन्हें और व्यापक बनाते हुए अपनाया गया है।
- संयुक्त राष्ट्र के एजेंडा 2030, में कुल 17 लक्ष्यों का निर्धारण किया गया था जो इस प्रकार से हैं:
- गरीबी के सभी रूपों की पूरे विश्व से समाप्ति।
- भूख समाप्ति, खाद्य सुरक्षा और बेहतर पोषण और टिकाऊ कृषि को बढ़ावा।
- सभी उम्र के लोगों में स्वास्थ्य सुरक्षा और स्वस्थ जीवन को बढ़ावा।
- समावेशी और न्यायसंगत गुणवत्ता युक्त शिक्षा सुनिश्चित करने के साथ ही सभी को सीखने का अवसर देना।
- लैंगिक समानता प्राप्त करने के साथ ही महिलाओं और लड़कियों को सशक्त करना।
- सभी के लिये स्वच्छता और पानी के सतत प्रबंधन की उपलब्धता सुनिश्चित करना।
- सस्ती, विश्वसनीय, टिकाऊ और आधुनिक ऊर्जा तक पहुँच सुनिश्चित करना।
- सभी के लिये निरंतर समावेशी और सतत आर्थिक विकास, पूर्ण और उत्पादक रोज़गार, और सभ्य काम को बढ़ावा देना।
- लचीली बुनियादी ढांचे, समावेशी और सतत औद्योगीकरण को बढ़ावा।
- देशों के बीच और भीतर असमानता को कम करना।
- सुरक्षित, लचीला और टिकाऊ शहर और मानव बस्तियों का निर्माण।
- स्थायी खपत और उत्पादन पैटर्न को सुनिश्चित करना।
- जलवायु परिवर्तन और उसके प्रभावों से निपटने के लिये तत्काल कार्रवाई करना।
- स्थायी सतत विकास के लिये महासागरों, समुद्र और समुद्री संसाधनों का संरक्षण और उपयोग।
- सतत उपयोग को बढ़ावा देने वाले स्थलीय पारिस्थितिकी प्रणालियों, सुरक्षित जंगलों और जैव विविधता के बढ़ते नुकसान को रोकने का प्रयास करना।
- सतत विकास के लिये शांतिपूर्ण और समावेशी समितियों को बढ़ावा देने के साथ ही सभी स्तरों पर इन्हें प्रभावी, जवाबदेही बनाना ताकि सभी के लिये न्याय सुनिश्चित हो सके।
- सतत विकास के लिये वैश्विक भागीदारी को पुनर्जीवित करने के अतिरिक्ति कार्यान्वयन के साधनों को मज़बूत बनाना।